अगर आप वास्तव में उपन्यास के लेखक हैं तो में आपको कथाकार, उपन्यास सम्राट मुंसी प्रेमचंद के उपन्यास पढ़ने की सलाह दूंगा उनके उपन्यास की विषय वस्तु आपके आसपास के जीवन से जुडी होती हैं.. ना इधर उधर की बातें ना फालतू झोल झमेला वो केवल अपनी कहानी पर फोकस करते हैं…
उन्ही में से एक कहानी हैं उनकी पंच परमेस्वर
ये कहानी मेने अपने स्कूल टाइम में पढ़ी थी. हालांकि बुक्स में ये शार्ट फॉर्मेट में थी..
फिर मेने इस कहानी की पूरी बुक पढ़ी..
वास्तव में उन्होने बताया कि जब को व्यक्ति जज, या गाँव का सरपंच होता हैं तो उसे ही गाँव के लोग उसके हर फैसला मानते हैं उसे भगवान का दर्जा दिया जाता हैं..
पंच बनने वाले के लिए ना कोई दोस्त होता हैं, ना परिवार और ना कोई रिस्ता..
उसका काम होता हैं जो सही हो उसी का पक्ष ले और सही और सत्य का निर्णय सुनाये..
ये ही सभी इसी बुक में बताया गया हैं… एक इसे आप जरूर पढ़े…
Rated 5 out of 5
Manohar Meena –
It’s a good book
Rated 5 out of 5
Vikram Singh Negi –
जीवन में एक अनोखा बन्धन होता है मित्रता का, विश्वास का यह बन्धन एक दूसरे से अपार अपेक्षाएं,आकांक्षाएं रखता है । एक मित्र दूसरे मित्र से यही आशा करता है कि वह उसका हर परिस्थिति में साथ देगा । दो मित्रों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख की यह कहानी जिसमें जब उन्हें अपने मित्र के पक्ष/विपक्ष में पंच की जिम्मेदारी मिलती है तो किस तरह से पंच की जिम्मेदारी को निभाते हैं? पंच के रूप में उनका यह फैसला उनकी मित्रता को किस प्रकार प्रभावित करता है? पंच परमेश्वर के रूप में यह कहानी मानव को उसकेनैतिक मूल्यों का भी बोध कराती है । हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक कहानी जिसे प्रेमचन्द जी ने इतना यथार्थ प्रस्तुत किया है कि यह आपको अपने सम्मुख ही घटित होती प्रीत होगी और इन्हें पढ़ते समय हमें जीवन के हर अनुभवों का आभास हो जाता है ।उनकी यह चर्चित कहानी विद्यालय पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित है, हर पाठक वर्ग के लिए उपयोगी ।
Rated 5 out of 5
Gireesh Dewangan –
शीर्षक- पंच परमेश्वर
लेखक- मुंशी प्रेमचंद
प्रकाशन वर्ष – 1916
पंच परमेश्वर कहानी है दो दोस्तों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख की. पंच परमेश्वर में दो शब्द हैं, पंच और परमेश्वर. पुराने समय में कहा जाता था की पंचो का फैसला भगवान के फैसले की तरह होता है. और यही आधार है इस कहानी का. क्या होता है जब दो बचपन के दोस्तों में से एक पंच हो और उसके सामने उसके दोस्त के खिलाफ किसी ने फ़रियाद की हो. पंच किसके पक्ष में फैसला लेता है और उसका क्या नतीजा निकलता है ये आपको इसे पढने पर पता चलेगा.
ये कहानी हमने स्कूल की किताब में बचपन में पढी थी, और इस कहानी की सरलता और सीख है जो आज भी ये हमें याद है. प्रेमचंद जी की भाषा अत्यंत सरल होती है, पर कई बार इनकी कहानियों में स्थानीय भाषा के भी कुछ शब्द आ जाते हैं जो इन कहान्तियों को चार चाँद लगा देते हैं.(चार चाँद पुराने समय की बात है, आज के समय के हिसाब से कहें तो पांच सितारे लगा देते हैं.)
Rated 5 out of 5
Naglash –
प्रेमचंद जी की हर कहानी की तरह ये कहानी भी गहरी छाप छोड़ती है, अलगू चौधरी और जुम्मन शेख दो दोस्त होते हैं ,जिनमे जुम्मन शेख पर चल रहे एक केस में पंच अलगू ही होता है तब वो कैसे अपना पंच का धर्म निभाता है इसी पर ये कहानी है
Rated 5 out of 5
shivammathers –
मुंशी प्रेमचंद जी की पांच परमेश्वर दो दोस्तों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख़ की कहानी है। कहानी के शीर्षक के अनुसार अलगू चौधरी एक गांव मे पंच होते है और उसी पंच मे जुम्मन के खिलाफ एक मामला चल रहा होता है। कहानी बस इतनी से है कि दोस्ती के हक़ मे फैसला आता है या फिर निष्पक्ष।
Manohar Meena –
अगर आप वास्तव में उपन्यास के लेखक हैं तो में आपको कथाकार, उपन्यास सम्राट मुंसी प्रेमचंद के उपन्यास पढ़ने की सलाह दूंगा उनके उपन्यास की विषय वस्तु आपके आसपास के जीवन से जुडी होती हैं.. ना इधर उधर की बातें ना फालतू झोल झमेला वो केवल अपनी कहानी पर फोकस करते हैं…
उन्ही में से एक कहानी हैं उनकी पंच परमेस्वर
ये कहानी मेने अपने स्कूल टाइम में पढ़ी थी. हालांकि बुक्स में ये शार्ट फॉर्मेट में थी..
फिर मेने इस कहानी की पूरी बुक पढ़ी..
वास्तव में उन्होने बताया कि जब को व्यक्ति जज, या गाँव का सरपंच होता हैं तो उसे ही गाँव के लोग उसके हर फैसला मानते हैं उसे भगवान का दर्जा दिया जाता हैं..
पंच बनने वाले के लिए ना कोई दोस्त होता हैं, ना परिवार और ना कोई रिस्ता..
उसका काम होता हैं जो सही हो उसी का पक्ष ले और सही और सत्य का निर्णय सुनाये..
ये ही सभी इसी बुक में बताया गया हैं… एक इसे आप जरूर पढ़े…
Manohar Meena –
It’s a good book
Vikram Singh Negi –
जीवन में एक अनोखा बन्धन होता है मित्रता का, विश्वास का यह बन्धन एक दूसरे से अपार अपेक्षाएं,आकांक्षाएं रखता है । एक मित्र दूसरे मित्र से यही आशा करता है कि वह उसका हर परिस्थिति में साथ देगा । दो मित्रों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख की यह कहानी जिसमें जब उन्हें अपने मित्र के पक्ष/विपक्ष में पंच की जिम्मेदारी मिलती है तो किस तरह से पंच की जिम्मेदारी को निभाते हैं? पंच के रूप में उनका यह फैसला उनकी मित्रता को किस प्रकार प्रभावित करता है? पंच परमेश्वर के रूप में यह कहानी मानव को उसकेनैतिक मूल्यों का भी बोध कराती है । हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक कहानी जिसे प्रेमचन्द जी ने इतना यथार्थ प्रस्तुत किया है कि यह आपको अपने सम्मुख ही घटित होती प्रीत होगी और इन्हें पढ़ते समय हमें जीवन के हर अनुभवों का आभास हो जाता है ।उनकी यह चर्चित कहानी विद्यालय पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित है, हर पाठक वर्ग के लिए उपयोगी ।
Gireesh Dewangan –
शीर्षक- पंच परमेश्वर
लेखक- मुंशी प्रेमचंद
प्रकाशन वर्ष – 1916
पंच परमेश्वर कहानी है दो दोस्तों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख की. पंच परमेश्वर में दो शब्द हैं, पंच और परमेश्वर. पुराने समय में कहा जाता था की पंचो का फैसला भगवान के फैसले की तरह होता है. और यही आधार है इस कहानी का. क्या होता है जब दो बचपन के दोस्तों में से एक पंच हो और उसके सामने उसके दोस्त के खिलाफ किसी ने फ़रियाद की हो. पंच किसके पक्ष में फैसला लेता है और उसका क्या नतीजा निकलता है ये आपको इसे पढने पर पता चलेगा.
ये कहानी हमने स्कूल की किताब में बचपन में पढी थी, और इस कहानी की सरलता और सीख है जो आज भी ये हमें याद है. प्रेमचंद जी की भाषा अत्यंत सरल होती है, पर कई बार इनकी कहानियों में स्थानीय भाषा के भी कुछ शब्द आ जाते हैं जो इन कहान्तियों को चार चाँद लगा देते हैं.(चार चाँद पुराने समय की बात है, आज के समय के हिसाब से कहें तो पांच सितारे लगा देते हैं.)
Naglash –
प्रेमचंद जी की हर कहानी की तरह ये कहानी भी गहरी छाप छोड़ती है, अलगू चौधरी और जुम्मन शेख दो दोस्त होते हैं ,जिनमे जुम्मन शेख पर चल रहे एक केस में पंच अलगू ही होता है तब वो कैसे अपना पंच का धर्म निभाता है इसी पर ये कहानी है
shivammathers –
मुंशी प्रेमचंद जी की पांच परमेश्वर दो दोस्तों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख़ की कहानी है। कहानी के शीर्षक के अनुसार अलगू चौधरी एक गांव मे पंच होते है और उसी पंच मे जुम्मन के खिलाफ एक मामला चल रहा होता है। कहानी बस इतनी से है कि दोस्ती के हक़ मे फैसला आता है या फिर निष्पक्ष।