लखनऊ के नवाबो के जमाने की यह कहानी दो पत्रो पर निर्भित है, मिर्ज़ा सज्जाद अली और मीर रोशन अली, दोनो शतरंज प्रेमी। सरलता के साथ ये दर्शया गया है कि कैसे शतरंज के अत्यंत प्रेम की वजह से दोनों बाकी बाते भुला कर बस इस खेल मे लीन हो जाते है, परिवार, जनता, देश, सब कुछ भुला कर। कहानी मे अंग्रेज़ो द्वारा लखनऊ पर कब्ज़ा होता दिखाया गया है।
Rated 5 out of 5
Naglash –
प्रेमचंद जी ने इस कहानी की पृष्ठभूमि लखनऊ में रखी है जहां अंग्रेज आक्रमण कर के उस पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, शतरंज के खेल के दो प्रेमी कैसे सब कुछ भुला कर केवल शतरंज के खेल में खो जाते हैं कहानी में ये ही दर्शाया गया है
Rated 5 out of 5
shravan.simply (verified owner)–
Shatranj ke Khiladi by Premchand
To doston bahut hi romanchak aur vyangyatmak tarike se shatranj ke khiladiyon par hai ye kahani.
Kya ho agar shatranj ke Khiladi khud mohre ban jaayein?
Kya ho agar shatranj ke sipahi, ghode, raja, rani ke bawajood aap khud hi maidan me utar jaayein?
Kya ho agar shatranj ki bisaat bichhi rahe aur khiladi shaheed ho jaayein?
Ek khel ke Raja Rani ke log apni jaan daanv pe laga dein.
In sabhi ka jawab Premchand ji ki is rachana me prapt hoga aapko. To avashya padhien Shatranj ke Khiladi.
Rated 5 out of 5
GireeshChandra Dewangan –
शीर्षक- शतरंज के खिलाड़ी
लेखक- मुंशी प्रेमचंद
इस कहानी को काफी लोग जानते हैं, क्यूंकि कहानी पर इसी नाम से सत्यजीत राय जी के दिग्दर्शन में एक हिन्दी फ़िल्म बनी थी. संजीव कुमार, सईद जाफरी और अमजद खान जैसे माहिर अभिनेताओं ने इसमें काम किया था.
ये कहानी है लखनऊ के दो नवाबों मिर्ज़ा सज्जाद अली और मीर रोशन अली की. दोनों ही शतरंज के खेल के से अत्यंत प्रेम करते हैं. इन दोनों का शतरंज प्रेम इतना गहरा हो जाता है की जब अंग्रेज लखनऊ पर आक्रमण करते है तो ये दोनों अपना घर परिवार छोड़कर एक छोटे से गाँव में शतरंज खेल रहे होते हैं.
लेखक ने इस कहानी में एक तरह से उन सभी लोगो पर प्रहार किया है जो अंग्रेजो के हमला करने पर बहाने बना कर हाथ पे हाथ धरे बैठे रहे. ये कहानी आज के समय में भी कई आलसी और निष्क्रीय लोगों पर लागू होती है.
shivammathers –
लखनऊ के नवाबो के जमाने की यह कहानी दो पत्रो पर निर्भित है, मिर्ज़ा सज्जाद अली और मीर रोशन अली, दोनो शतरंज प्रेमी। सरलता के साथ ये दर्शया गया है कि कैसे शतरंज के अत्यंत प्रेम की वजह से दोनों बाकी बाते भुला कर बस इस खेल मे लीन हो जाते है, परिवार, जनता, देश, सब कुछ भुला कर। कहानी मे अंग्रेज़ो द्वारा लखनऊ पर कब्ज़ा होता दिखाया गया है।
Naglash –
प्रेमचंद जी ने इस कहानी की पृष्ठभूमि लखनऊ में रखी है जहां अंग्रेज आक्रमण कर के उस पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, शतरंज के खेल के दो प्रेमी कैसे सब कुछ भुला कर केवल शतरंज के खेल में खो जाते हैं कहानी में ये ही दर्शाया गया है
shravan.simply (verified owner) –
Shatranj ke Khiladi by Premchand
To doston bahut hi romanchak aur vyangyatmak tarike se shatranj ke khiladiyon par hai ye kahani.
Kya ho agar shatranj ke Khiladi khud mohre ban jaayein?
Kya ho agar shatranj ke sipahi, ghode, raja, rani ke bawajood aap khud hi maidan me utar jaayein?
Kya ho agar shatranj ki bisaat bichhi rahe aur khiladi shaheed ho jaayein?
Ek khel ke Raja Rani ke log apni jaan daanv pe laga dein.
In sabhi ka jawab Premchand ji ki is rachana me prapt hoga aapko. To avashya padhien Shatranj ke Khiladi.
GireeshChandra Dewangan –
शीर्षक- शतरंज के खिलाड़ी
लेखक- मुंशी प्रेमचंद
इस कहानी को काफी लोग जानते हैं, क्यूंकि कहानी पर इसी नाम से सत्यजीत राय जी के दिग्दर्शन में एक हिन्दी फ़िल्म बनी थी. संजीव कुमार, सईद जाफरी और अमजद खान जैसे माहिर अभिनेताओं ने इसमें काम किया था.
ये कहानी है लखनऊ के दो नवाबों मिर्ज़ा सज्जाद अली और मीर रोशन अली की. दोनों ही शतरंज के खेल के से अत्यंत प्रेम करते हैं. इन दोनों का शतरंज प्रेम इतना गहरा हो जाता है की जब अंग्रेज लखनऊ पर आक्रमण करते है तो ये दोनों अपना घर परिवार छोड़कर एक छोटे से गाँव में शतरंज खेल रहे होते हैं.
लेखक ने इस कहानी में एक तरह से उन सभी लोगो पर प्रहार किया है जो अंग्रेजो के हमला करने पर बहाने बना कर हाथ पे हाथ धरे बैठे रहे. ये कहानी आज के समय में भी कई आलसी और निष्क्रीय लोगों पर लागू होती है.