Vayuputron Ki Shapath | Hindi

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Weight 395 g
Dimensions 20 × 13 × 3 cm
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1 review for Vayuputron Ki Shapath | Hindi

  1. Gireesh Dewangan

    शीर्षक- वायुपुत्रों की शपथ
    लेखक- अमीश त्रिपाठी
    प्रकाशन वर्ष – 2013
    Shiva Trilogy:- प्रथम भाग :- मेलुहा के मृत्युंजय
    व्दितीय भाग :- नागाओं का रहस्य
    तृतीय एवं अंतिम भाग :- वायुपुत्रों की शपथ
    वायुपुत्रों की शपथ, शिव की कहानी का तीसरा और अंतिम भाग है. आख़िरकार शिव सारी समस्याओं और उस समस्या के समाधान के लिए उन्हें क्या करना है ये समझ जाते हैं. परन्तु उसके लिए उन्हें कई अलग-अलग मोर्चों पर लड़ाइयाँ लडनी होती है. एक ऐसी लड़ाई जो इस बात का निर्णय करेगी की बुराई का अस्तित्व रहेगा या अच्छाई का. शिव को इस लड़ाइयों में कई दुश्मनों का साथ मिलता है तो कई अपने उनके विरुद्ध लड़ते भी हैं. हर लड़ाई में हर पक्ष को कुछ न कुछ खोना पड़ता है, और शिव को भी इस लड़ाई में क्षति होती है.
    एक तरह से लेखक ने इन किताबो के व्दारा आज के समय की बुराइयों को सांकेतिक रूप से प्रदर्शित किया है. कुछ लोग अपने तनिक लाभ के लिए बाकी सब की हानि करते हैं, और इस बात का उन्हें तनिक भी पश्चाताप नहीं होता है.
    बाकी २ किताबों की तरह ये किताब भी अत्यंत रोचक है. इसमें कई युध्ह के दृश्य हैं जिनका आकर्षक वर्णन लेखक व्दारा किया गया है. अंतिम भाग होने की वजह से सारे किरदारों की कहानियों का समापन इसमें किया गया है, जिसके कारण ये किताब थोड़ी लम्बी हो गई है. और लम्बे दृश्यों के कारण बाकी दोनों किताबो से कहीं ना कहीं थोड़ी कम रह जाती है.
    वायुपुत्रों की शपथ एक उत्कृष्ट श्रुंखला का समापन करती है. भारतीय लेखकों व्दारा लिखी गई पुस्तकों में ये श्रुंखला मेरी पसंदीदा श्रुंखला है. अमीश जी ने हजारों लेखकों को विश्वास और साहस दिलाया की वो भी ऐसी उत्तम पुस्तकें लिख सकते हैं. उनसे प्रेरणा लेकर कई लोगों ने लिखना प्रारम्भ किया और अगर हम आज के समय के कई लेखकों को देखें तो अमीश जी की छाप उन पर साफ़ दिखाई देती है.

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